"हमारे किसानों की कड़ी मेहनत और लगन के आधार पर भारत में विकसित खेती, एक प्रमुख व्यवसाय है और इसके अलावा यह पैतृक विरासत भी है। १९६० के दशक में 'हरित क्रांति' वह पहला प्रयास था, जो आधुनिक मशीनीकरण और वैज्ञानिक रूप से बेहतर फसल इनपुटों के साथ खेती में उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया गया। किसानों ने प्रगति की और मुख्य फसलों के मामले में भारत आत्मनिर्भर बन हो गया। १९७० के दशक के दौर ने, अर्थात 'श्वेत क्रांति' ने किसानों की वृद्धि और प्रेरित की तथा भारत को डेयरी के अभाव वाले देश से विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश के रूप में बदल दिया। इसने डेयरी को भारत का सबसे बड़ा स्वयं-स्थायी और ग्रामीण रोजगार उत्पन्न करने वाला क्षेत्र बना दिया।
आज, विश्व में किसानों की सबसे बड़ी संख्या, तथा कृषि योग्य भूमि के दूसरे सबसे बड़े क्षेत्रफल के साथ भारत, विश्व का एक सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक है और अब यह फिर से एक नए युग में प्रवेश करने जा रहा है।
आज कृष- ई ने २०२० के दशक की ‘डिजिटल क्रांति’ की शुरुआत की है - जो कि भारतीय किसानों और भारतीय खेती को उन्नत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बूते हर खेत को नया रूप देने, उत्पादकता बढ़ाने और इस तरह से किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता कृष- ई में मौजूद है। हमने इसे ‘कृष- ई का डिजिटल सवेरा’ का नाम दिया है।"